Divine Verses – 4: Maa Sharda Aarti, Maihar Temple – (माँ शारदा देवी की संध्याकालीन आरती)

।। ॐ श्री गुरुवे नमः ।।
।। ॐ श्री गणेशाय नमः ।।

卐।। श्री माँ शारदा देवी की संध्याकालीन आरती।।卐

ॐ जै शारद मातु हरे, ॐ जै शारद मातु हरे ।
तुम्हीं मातु अपरा हो, तुम्हीं हो मातु परे ।
ॐ जै शारद मातु हरे ।।

भक्त हेतु अवतारा नानारूप धरे ।
मैया नाना रूप धरे ।
रक्तबीज महिषासुर तुम असुरन मारे ।
ॐ जै शारद मातु हरे ।।

मैहर मातु विराजी सत् ना जान परे ।
ज्ञान प्रकाशो माता तमशा मोर टरे ।
ॐ जै शारद मातु हरे ।।

हंस वाहिनी माता, पुस्तक हाथ धरे ।
ब्रह्मनाद स्वर वीणा, जग कल्याण करे ।
ॐ जै शारद मातु हरे ।।

शैलपुत्री ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघण्ट माता ।
कुष्माण्डा स्कन्धी, कात्यायनी त्राता ।
ॐ जै शारद मातु हरे ।।

कालरात्रि गौरी माँ, दुर्गा सिद्धि दात्री ।
भक्तन कष्ट निवारो, तुम जग की धात्री ।
ॐ जै शारद मातु हरे ।।

ब्रह्मा वेद सुनावै, हरि हर ध्यान धरें ।
इन्द्रादिक गुण गावै, ऋषि मुनि गान करें ।
ॐ जै शारद मातु हरे ।।

तुम लक्ष्मी तुम शारद, तुम दुर्गा काली ।
तुमही दस विद्या हो, तुम मैहर वाली ।
ॐ जै शारद मातु हरे ।।

कोढ़ी काया पावे, पुत्र बांझ नारी ।
अन्धे नयना पावे, लंगड़े पगु धारी ।
ॐ जै शारद मातु हरे ।।

अलख निरंजन होकर, लख पड़ती माते ।
 ज्ञानी भगत तुम्हारे, दर्शन को आते ।
ॐ जै शारद मातु हरे।।

सरल सुबोध सुकोमल, तुम ममता रूपा ।
जो नित ध्यान लगावे, छूटे भव कूपा ।
ॐ जै शारद मातु हरे ।।

चरण शरण जो आवे, झोली मातु भरे ।
काल विनाशिनी माता, कालहि दूर करे ।
ॐ जै शारद मातु हरे ।।

वेद शास्त्र सब सारे नेति नेति कहते ।
वाल्मीकि शुक नारद, देवी चरण रहते ।
ॐ जै शारद मातु हरे ।।

दुर्गा बन शारद ने आल्हा खड्ग दियो ।
भक्ति देखि आल्हा की माँ ने अमर कियो ।
ॐ जै शारद मातु हरे ।।

मध्य प्रदेश भृकुटी बिच माता आन बसो ।
माया जाल उबारो देवी जीव फँसी ।
ॐ जै शारद मातु हरे ।।

तुम हो अगम अगोचर, गोचर हो मैया ।
निशिदिन देवि पुकारे, पार करो नैया ।
ॐ जै शारद मातु हरे।।

देविप्रसाद को वर दे, पातक मोर टरे ।
बार-बार पग जाऊँ, भगति तोर करे ।
ॐ जै शारद मातु हरे।।

ॐ जय शारद मातु हरे, ॐ जय शारद मातु हरे ।
तुम्हीं मातु अपरा हो, तुम्हीं हो मातु परे ।
ॐ जै शारद मातु हरे ।।

जय शारद मैया हरे हरे । जय राम रमैया हरे हरे ।।
जय कृष्ण कन्हैया हरे हरे। जय शारद मैया कष्ट हरे ।।
जय शारद मैया हरे हरे। जय शारद मैया हरे हरे ।।

卐।। माई शारदा की जय ।।卐

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Divine Verses – 3: Sharda Mata Ki Aarti, Maihar Temple – (माँ शारदा देवी की प्रातः कालीन आरती – हिंदी में)

卐।। माँ शारदा देवी की प्रातःकालीन आरती ।।卐

सुन माई शारद पर्वत वासिनी तेरो पार न पायो ।

पान सुपारी ध्वजा नारियल ले तेरी भेंट चढ़ायो ।।

सुन माई शारद पर्वत वासिनी तेरो पार न पायो ।

सुभग चोली तेरो अंग विराजे, केशर तिलक लगायो ।।

सुन माई शारद पर्वत वासिनी तेरो पार न पायो ।

ब्रह्मा वेद पढ़ें तेरे द्वारे शंकर ध्यान लगायो ।।

सुन माई शारद पर्वत वासिनी तेरो पार न पायो ।

नंगे पग तेरे आल्हा आयो, चरणों में शीश नवायो ।।

सुन माई शारद पर्वत वासिनी तेरो पार न पायो ।

ऊंचे पर्वत बनो दिवालो, नीचे शहर बसायो ।।

सुन माई शारद पर्वत वासिनी तेरो पार न पायो ।

सतयुग त्रेता, द्वापर मध्ये कलयुग राज समायो ।।

सुन माई शारद पर्वत वासिनी तेरो पार न पायो ।

धूप दीप नैवेद्य, आरती मोहन भोग लगायो ।।

सुन माई शारद पर्वत वासिनी तेरो पार न पायो ।

देवि भगत मैया तेरे गुन गायो, मनवांछित फल पायो ।।

सुन माई शारद पर्वत वासिनी तेरो पार न पायो ।

दुर्ग विनाशिनी दुर्गा जय जय, काल विनाशिनी काली जय जय ।

उमा रमा ब्रह्माणी जय जय, राधा, सीता, रुक्मिणी जय जय ।।

卐।। माई शारदा की जय ।।卐

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Divine Verses – 2: Maa Sharda Stuti – (माँ शारदा स्तुति – हिंदी में)

卐।। श्री शारदा माता की स्तुति ।।卐

प्रवरा तीर निवासिनी मैया निग में प्रति पाद्ये ।

पारावार बिहारिणि मैया नारायण हृद्ये ।।

प्रपंच सारे जगदाधारे श्री विद्ये ।

प्रपन्न पालन निरते मैया मुनि वृन्दा राध्ये ।।

जय देवी जय देवी, जय मोहन रूपे ।

मामहि जननि समुद्धर, पतिताम् भवकूपे ।। १ ।।

दिव्य सुधाकर वदने माता, कुन्दोज्वल रदने ।

पद नख निरजित मदने माता, मधु कैटभ कदने ।।

विकसित पंकज नयने माता, पन्नगपति शयने ।

खगपति बहने गहने माता, संकट बने दहने ।।

जय देवी, जय देवी, जय मोहन रूपे ।

मामहि जननि समुद्धर, पतिताम् भवकूपे ।। २ ।।

मंजीरांकित चरणे माता, मणि मुक्ता भरणे ।

कंचुक वस्त्रा वरणे माता, वस्त्राम्बुज धरणे ।।

कंचुक वस्त्रा वरणे माता, भूसुर सुख करणे ।

शक्रामयभयहरणे माता, भूसुर सुख करणे ।

करूणा कुरूमे शरणे माता, गजन क्रोद्धरणे ।।

जय देवी, जय देवी, जय मोहन रूपे ।

मामहि जननि समुद्धर, पतिताम् भवकूपे ।। ३ ।।

छित्वा राहू ग्रीवाम मैया, पासित्वं बिबुधान् ।

दिम्भो यक्षसि मृत्यु अनिष्टम्, पिंयुषं बिबुधान् ।।

बिहरसि दानव रिद्यम मैया, समरेसंसिद्धाम् ।

मध्व मुनीश्वर वरदे दुर्गा, पालासन् सिद्धाम् ।।

जय देवी जय देवी, जय मोहन रूपे ।

भामिह जननि समुद्धर, पतिताम् भवकूपे ।। ४ ।।

(यह स्तुति नित्य प्रति श्री शारदा देवी जी के मन्दिर में प्रातः आरती में होती है)

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Divine Verses – 1: Maa Sharda Chalisa – (माँ शारदा चालीसा – हिंदी में)

।। ॐ श्री गुरुवे नमः ।। 
।। ॐ श्री गणेशाय नमः ।।

श्री शारदा चालीसा

शारद नगरी मैहर वासा ।

तीन लोक महुँ करहि प्रकाशा ।।

शारद सत् ना जानहि कोई ।

प्रम भगति जप-तप नहीं होई ।।

शारद मध्यप्रदेश महुँ राखा ।

देविप्रसाद निज अनुभव भाखा ।।

शारद महिमा कोई नहिं जाना ।

नेति नेति कह वेद बखाना ।।

शारद नाम सुखद सुखराशी ।

ब्रह्मा विष्णु भजहिं कैलाशी ।।

शारद के गुण गावहिं देवा ।

ऋषि मुनि नित पावहिं सेवा ।।

शारद सुमिरन हनुमत कीन्हा ।

मनचाहा आयुष वर लीन्हा ।।

शारद नाम जपहुँ दिनराता ।

निर्मल बुद्धि होई मन गाता ।।

शारद वाहन हंस विराजी ।

नाद ब्रह्म वीणा स्वर साजी ।।

शारद प्रेम विनय मन राखी ।

मातु रखहिंजसपलकहिं आँखी ।।

शारद नाम रसहिं मन पागे ।

सप्तचक्र कुण्डलिनी जागे ।।

शारद सबद जानि ओंकारा ।

ब्रह्मरूप अवचिल अविकारा ।।

शारद चरण भजहिं मन देहा ।

मातु बसहिं ताके उर गेहा ।।

शारद जाप विवेकहिं जागा ।

जो न भजहिं नर जानि अभागा ।।

शारद शक्ति सबहि जग वासा ।

सुमिरन से नर पाई न त्रासा ।।

शारद ज्योति प्रकाशहि लोका ।

नाम लेत भव होहि न शोका ।।

शारद दिव्य ज्ञान की दाता ।

श्रद्धा सुमन भक्त जब लाता ।।

शारद भक्ति मुक्ति की दाता ।

जो नर भजन करहिं दिन राता ।।

शारद चरण कमल अविनाशी ।

नाम प्रभाव छूटि यम फाँसी ।।

शारद माता गंग समाना ।

जो नर नित्य करहिं स्नाना ।।

शारद नाम जहाजहिं रूपा ।

पार होहिं भवसागर कूपा ।।

शारद कलयुग में वरदायी ।

आल्हावीर अमरता पाई ।।

शारद मातु बुद्धि की देवी । 

जो नर होय देह मन सेवी ।। 

शारद देवी दुर्गा काली । 

दरश देहु जय मैहर वाली ।। 

शारद सुमिरहु मनसा वाचा । 

मातु करहि मन बुद्धि साचा ।। 

सारद सरिस न कोउ जग माँहीं । 

दरश-परश सब पातक जाँही ।। 

शारद मातु अविद्या नाशा । 

ध्यान करहिं तम होहि विनाशा ।। 

शारद नाम जपहुँ संसारा ।

नाम लेत भव उतरहिं पारा ।।

शारद दुर्गविनाशिनी माता ।

तुम ही लक्ष्मी सब सुख दाता ।।

शारद मातु पिता तुम मोरे ।

सदा रहे मन चरणन तोरे ।।

शारद चित चंचल मन मोरा ।

देवि आसरा केवल तोरा ।।

शारद नाम सुअंजन नैना ।

होहिं प्रकाश जाहीं दुख रैना ।। 

शारद विनय न जावहिं खाली । 

तू ही दुर्गा खप्परवाली ।।

शारद पूजा सरल सुबोधा ।

लोभ मोह मद जावहिं क्रोधा ।।

शारद मातु विनय सुन मोरी । 

प्रेम चरण में लागई डोरी ।। 

शारद चालीसा जो गावे ।

लौकिक लोक सम्पदा पावै ।।

शारद मातु अमंगल हरणा ।

बार-बार वन्दऊँ मैं चरणा ।।

शारद कोर कृपा की कीजै ।

चरण शरण आपन मोहि दीजै ।।

शारद चरण धूलि नित पाउँ ।

कोटि जनम चालीसा गाऊँ ।।

शारद देवि प्रसादी पावा ।

मातृ कृपा चालीसा गावा ।।

।। दोहा ।।

शारद देविप्रसाद की, पूरण कर दो चाह ।
दर्शन अपना दीजिए, चलहुँ सत्य की राह ।।

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