
।। ॐ श्री गुरुवे नमः ।।
।। ॐ श्री गणेशाय नमः ।।
卐।। श्री माँ शारदा देवी की संध्याकालीन आरती।।卐
ॐ जै शारद मातु हरे, ॐ जै शारद मातु हरे ।
तुम्हीं मातु अपरा हो, तुम्हीं हो मातु परे ।
ॐ जै शारद मातु हरे ।।
भक्त हेतु अवतारा नानारूप धरे ।
मैया नाना रूप धरे ।
रक्तबीज महिषासुर तुम असुरन मारे ।
ॐ जै शारद मातु हरे ।।
मैहर मातु विराजी सत् ना जान परे ।
ज्ञान प्रकाशो माता तमशा मोर टरे ।
ॐ जै शारद मातु हरे ।।
हंस वाहिनी माता, पुस्तक हाथ धरे ।
ब्रह्मनाद स्वर वीणा, जग कल्याण करे ।
ॐ जै शारद मातु हरे ।।
शैलपुत्री ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघण्ट माता ।
कुष्माण्डा स्कन्धी, कात्यायनी त्राता ।
ॐ जै शारद मातु हरे ।।
कालरात्रि गौरी माँ, दुर्गा सिद्धि दात्री ।
भक्तन कष्ट निवारो, तुम जग की धात्री ।
ॐ जै शारद मातु हरे ।।
ब्रह्मा वेद सुनावै, हरि हर ध्यान धरें ।
इन्द्रादिक गुण गावै, ऋषि मुनि गान करें ।
ॐ जै शारद मातु हरे ।।
तुम लक्ष्मी तुम शारद, तुम दुर्गा काली ।
तुमही दस विद्या हो, तुम मैहर वाली ।
ॐ जै शारद मातु हरे ।।
कोढ़ी काया पावे, पुत्र बांझ नारी ।
अन्धे नयना पावे, लंगड़े पगु धारी ।
ॐ जै शारद मातु हरे ।।
अलख निरंजन होकर, लख पड़ती माते ।
ज्ञानी भगत तुम्हारे, दर्शन को आते ।
ॐ जै शारद मातु हरे।।
सरल सुबोध सुकोमल, तुम ममता रूपा ।
जो नित ध्यान लगावे, छूटे भव कूपा ।
ॐ जै शारद मातु हरे ।।
चरण शरण जो आवे, झोली मातु भरे ।
काल विनाशिनी माता, कालहि दूर करे ।
ॐ जै शारद मातु हरे ।।
वेद शास्त्र सब सारे नेति नेति कहते ।
वाल्मीकि शुक नारद, देवी चरण रहते ।
ॐ जै शारद मातु हरे ।।
दुर्गा बन शारद ने आल्हा खड्ग दियो ।
भक्ति देखि आल्हा की माँ ने अमर कियो ।
ॐ जै शारद मातु हरे ।।
मध्य प्रदेश भृकुटी बिच माता आन बसो ।
माया जाल उबारो देवी जीव फँसी ।
ॐ जै शारद मातु हरे ।।
तुम हो अगम अगोचर, गोचर हो मैया ।
निशिदिन देवि पुकारे, पार करो नैया ।
ॐ जै शारद मातु हरे।।
देविप्रसाद को वर दे, पातक मोर टरे ।
बार-बार पग जाऊँ, भगति तोर करे ।
ॐ जै शारद मातु हरे।।
ॐ जय शारद मातु हरे, ॐ जय शारद मातु हरे ।
तुम्हीं मातु अपरा हो, तुम्हीं हो मातु परे ।
ॐ जै शारद मातु हरे ।।
जय शारद मैया हरे हरे । जय राम रमैया हरे हरे ।।
जय कृष्ण कन्हैया हरे हरे। जय शारद मैया कष्ट हरे ।।
जय शारद मैया हरे हरे। जय शारद मैया हरे हरे ।।
卐।। माई शारदा की जय ।।卐
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