
卐।। माँ शारदा देवी की प्रातःकालीन आरती ।।卐
सुन माई शारद पर्वत वासिनी तेरो पार न पायो ।
पान सुपारी ध्वजा नारियल ले तेरी भेंट चढ़ायो ।।
सुन माई शारद पर्वत वासिनी तेरो पार न पायो ।
सुभग चोली तेरो अंग विराजे, केशर तिलक लगायो ।।
सुन माई शारद पर्वत वासिनी तेरो पार न पायो ।
ब्रह्मा वेद पढ़ें तेरे द्वारे शंकर ध्यान लगायो ।।
सुन माई शारद पर्वत वासिनी तेरो पार न पायो ।
नंगे पग तेरे आल्हा आयो, चरणों में शीश नवायो ।।
सुन माई शारद पर्वत वासिनी तेरो पार न पायो ।
ऊंचे पर्वत बनो दिवालो, नीचे शहर बसायो ।।
सुन माई शारद पर्वत वासिनी तेरो पार न पायो ।
सतयुग त्रेता, द्वापर मध्ये कलयुग राज समायो ।।
सुन माई शारद पर्वत वासिनी तेरो पार न पायो ।
धूप दीप नैवेद्य, आरती मोहन भोग लगायो ।।
सुन माई शारद पर्वत वासिनी तेरो पार न पायो ।
देवि भगत मैया तेरे गुन गायो, मनवांछित फल पायो ।।
सुन माई शारद पर्वत वासिनी तेरो पार न पायो ।
दुर्ग विनाशिनी दुर्गा जय जय, काल विनाशिनी काली जय जय ।
उमा रमा ब्रह्माणी जय जय, राधा, सीता, रुक्मिणी जय जय ।।
卐।। माई शारदा की जय ।।卐
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