
卐।। श्री शारदा माता की स्तुति ।।卐
प्रवरा तीर निवासिनी मैया निग में प्रति पाद्ये ।
पारावार बिहारिणि मैया नारायण हृद्ये ।।
प्रपंच सारे जगदाधारे श्री विद्ये ।
प्रपन्न पालन निरते मैया मुनि वृन्दा राध्ये ।।
जय देवी जय देवी, जय मोहन रूपे ।
मामहि जननि समुद्धर, पतिताम् भवकूपे ।। १ ।।
दिव्य सुधाकर वदने माता, कुन्दोज्वल रदने ।
पद नख निरजित मदने माता, मधु कैटभ कदने ।।
विकसित पंकज नयने माता, पन्नगपति शयने ।
खगपति बहने गहने माता, संकट बने दहने ।।
जय देवी, जय देवी, जय मोहन रूपे ।
मामहि जननि समुद्धर, पतिताम् भवकूपे ।। २ ।।
मंजीरांकित चरणे माता, मणि मुक्ता भरणे ।
कंचुक वस्त्रा वरणे माता, वस्त्राम्बुज धरणे ।।
कंचुक वस्त्रा वरणे माता, भूसुर सुख करणे ।
शक्रामयभयहरणे माता, भूसुर सुख करणे ।
करूणा कुरूमे शरणे माता, गजन क्रोद्धरणे ।।
जय देवी, जय देवी, जय मोहन रूपे ।
मामहि जननि समुद्धर, पतिताम् भवकूपे ।। ३ ।।
छित्वा राहू ग्रीवाम मैया, पासित्वं बिबुधान् ।
दिम्भो यक्षसि मृत्यु अनिष्टम्, पिंयुषं बिबुधान् ।।
बिहरसि दानव रिद्यम मैया, समरेसंसिद्धाम् ।
मध्व मुनीश्वर वरदे दुर्गा, पालासन् सिद्धाम् ।।
जय देवी जय देवी, जय मोहन रूपे ।
भामिह जननि समुद्धर, पतिताम् भवकूपे ।। ४ ।।
(यह स्तुति नित्य प्रति श्री शारदा देवी जी के मन्दिर में प्रातः आरती में होती है)
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